कदम थिरक रहे है । रोको मत । थिरकने दो ।
यह नई दिशा देगा । दिमाग को लचीला बनाएगा ।
जीना सिखलाएगा । यही तो साँसों में दम भरेगा ।
....तो रोको मत । थिरकने दो ।
Wednesday, January 19, 2011
एक तारा कहीं खो गया है ...
चल तो रहा हूँ । पेड़ों की छांव भी है ....
....पर चैन नही । एक तारा कहीं खो गया है ।
....पर चैन नही । एक तारा कहीं खो गया है ।
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